खोले डाइयरी के कुछ पुराने पन्ने अभी और मेरी कहानी बिखर गयी कुछ सपने गिरे कवर के छेद से जैसे रिहा हुए हों क़ैद से मिली लाश कुछ वादों की वहाँ ना जाने कब किए थे खुदसे और कहाँ कुछ पन्नो बाद वो बे-अदब ‘मैं’ भी निकला ना डर था जिससे और ना कोई परवाह बे-अदब ‘मैं’ मुझसे पूछता है ये यहाँ एक अजीब सा शोर क्यूँ है तेरी सोच में आगे निकालने की होड़ क्यूँ है ये क्या तेरी आम सी ज़िंदगी है ये कौन है तू ये क्या बन गया है तू समझ ए बे-अदब नासमझ है इसीलिए तो हराम है तू दुनिए के कितने कायदों से अंजान है तू कुछ सलीखा सीख ले जीने का अब तो नुस्खे ले कामयाबी के अब तो किन कायदों की बात करता है तू किन वादों की बात करता है तू देख खुद को आईनो मे कभी क्या था और क्या है अब तू सुन ओ क़ायदे पढ़ने वाले सुन ओ सलीखे सिखाने वाले तू कोई मसखरा तो नहीँ क्योंकि तू ‘मैं’ तो नहीं हो सकता कहाँ गयी है मेरी वो बेपरवाही कहाँ है मेरा वो… 'ठा से' चुप करवाया फिर उसे कवर, पन्नो और ड्रॉयर में दबाया फिर उसे बंद किए डाइयरी के कुछ पुराने पन्ने अभी और मेरी कहानी दफ़्न हुई
The guy with a typewriter.
Hahaha...awesome!!
ReplyDelete:)
DeleteYou didnt update fb page...like like like grl in red is surely like me
ReplyDeleteya that's due..late night stuff...and girl in red is very special like every girl I guess
Deletenice one ish
ReplyDeletethanks for visiting irene, it's your first comment here..looking for more
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