याद रहूँगा मैं क्या तुमको बादल जब मेरी स्याही बरसायेंगे कितनी बारिशें, कितने मौसम मेरे ख़त बन जाएंगे दो पल हों जो पास तुम्हारे मुट्ठी में तुम मेरी कहानी पकड़ लेना कभी जो तुम हो थोड़ी अकेली इसे इत्मीनान से पढ़ लेना दूर सही मैं और न तुमको ज़रुरत पर इन साँसों को भी हिचकी का सहारा दे देना याद रहूँगा मैं क्या तुमको बादल जब मेरी स्याही बरसायेंगे कितनी बारिशें, कितने मौसम मेरे ख़त बन जाएंगे
The guy with a typewriter.